Srikanth movie review: राजकुमार की टॉप-क्लास एक्टिंग और हीरानंदानी का शानदार डायरेक्शन, मूवी ने जीता दिल

Srikanth movie review: पिछले कुछ दशकों में, हमने बॉलीवुड की कई बायोपिक्स देखी हैं, जिन्होंने हमें एथलीटों, अधिकारियों, अभिनेताओं और कई लोगों की यात्रा दिखाई है। इस बार फिल्म डायरेक्टर तुषार हीरानंदानी एक अंधे उद्योगपति (Visually Impaired Industrialist) श्रीकांत बोल्ला की कहानी लेकर आए हैं, जिनका जीवन हमें सिखाता है कि कभी भी बड़े सपने देखना बंद नहीं करना चाहिए।

रेटिंग: 3.5

कास्ट: राजकुमार राव, ज्योतिका, शरद केलकर, अलाया एफ

डायरेक्टर: तुषार हीरानंदानी

फिल्म की स्टोरी (Srikanth Movie)

फिल्म की शुरुआत 13 जुलाई 1992 से होती है, जब आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम में दामोदर बोला और वेंकटम्मा बोला के घर Srikanth (राजकुमार राव) का जन्म होता है। जहां दामोदर अपने बेटे के जन्म के बाद बहुत खुश होते हैं और बेटे का नाम अपने पसंदीदा क्रिकेटर कृष्णमाचारी श्रीकांत के नाम पर रखते हैं, लेकिन जब उन्हें पता चलता है कि उनका बेटा अंधा पैदा हुआ है तो वह टूट जाते हैं। कई पड़ोसी और रिश्तेदार श्रीकांत के माता-पिता से कहते हैं कि वे अपने अंधे बच्चे को मार दें और भगवान से प्रार्थना करें कि अगली बार वह उन्हें एक स्वस्थ बच्चा दे।

अगली फ्रेम में, हम दामोदर को रोते हुए और बच्चे को मारने की कोशिश करते हुए देखते हैं लेकिन उनकी पत्नी उन्हें रोक देती है और कहती है कि उनका एक और बच्चा होगा लेकिन श्रीकांत को उनके साथ रहना चाहिए।

खैर, अँधा होने के बावजूद, श्रीकांत चतुर, तेज और समझने की शानदार शक्ति रखते हैं। कई सीन पर आप उनकी बुद्धि को देख कर दंग रह जाएंगे। अपने गाँव में शिक्षा प्राप्त करने के बाद, उन्हें आशा स्कूल फॉर ब्लाइंड, हैदराबाद भेजा जाता है, जहाँ देविका (ज्योतिका) नाम की एक टीचर उनका पालन-पोषण करती है और उनके फ्यूचर को सँवारने में मदद करती हैं।

10th क्लास पास करने के बाद, वह साइंस सब्जेक्ट के लिए अप्लाई करते हैं लेकिन इंडियन एजुकेशन सिस्टम के अनुसार, अंधे लोग साइंस का ऑप्शन नहीं चुन सकते हैं। श्रीकांत अपनी टीचर देविका के साथ एजुकेशन सिस्टम से लड़ते है और जिसके बाद उन्हें अपनी पसंदीदा स्ट्रीम में एडमिशन मिलता है और वो अच्छे अंकों के साथ पास होते हैं।

उनकी शिक्षा के बाद, हम उन्हें उनकी उद्यमशीलता (entrepreneurial) यात्रा पर देखते हैं, जहां उन्हें शुरुआत में असफलताओं का सामना करना पड़ता है और लोग उनपर सवाल उठाते हैं, वहीं दूसरी ओर उनकी विकलांगता के कारण उनके प्रति सहानुभूति भी रखते हैं। हालाँकि, ये पड़ाव कभी भी श्रीकांत का जज़्बा कम नहीं कर पाती हैं। मूवी में, उनकी एक लाइन बहुत बड़ी सीख देती है जिसमें वह कहते हैं, ‘मैं दौड़ नहीं सकता इसलिए मुझे लड़ना होगा।’

मेकर्स ने इस बायोपिक को पूरी ईमानदारी से बनाया है। आप एक पल के लिए भी आप उनकी विकलांगता के लिए उसके प्रति सहानुभूति नहीं रखेंगे बल्कि आप उनकी स्किल्स और शार्पनेस से बहुत प्रभावित होंगे। बिज़नेस में महान ऊंचाइयों तक पहुंचने के बाद वो खुद के निर्णयों के कारण डाउनफॉल देखते है।

डायरेक्टर हीरानंदानी एक शानदार कहानीकार हैं और जिस तरह से उन्होंने इस प्रेरक यात्रा की कहानी को बुना है वो देखने लायक है। फिल्म डायरेक्टर ने हार्ट-टचिंग मोमेंट्स के साथ फिल्म में गति बनाए रखी है। जगदीप सिद्धु और सुमित पुरोहित की दिलचस्प कहानी के लिए ख़ास पॉइंट दिए जाने चाहिए।

परफॉरमेंस

स्टार परफॉरमेंस के बारे में बात करते हुए, Rajkumar Rao ने गेंद को पार्क के बाहर मारा है और अवॉर्ड विनिंग एक्टिंग की है। राजकुमार ने सारी बारीकियों को अच्छी तरह से निभाया है अपनी एक्टिंग से सबको दंग कर दिया है। देविका के रूप में ज्योतिका हैं और आपको अपने जीवन में उसके जैसा टीचर होने का एहसास कराती है। उनका किरदार उतना ही जरुरी है जितना तारे ज़मीन पर में आमिर खान का था। शरद केलकर ने फिल्म में रवि (श्रीकांत के बिजनेस पार्टनर) के किरदार से एक बार फिर अपनी एक्टिंग स्किल साबित की। उनका औरा और स्क्रीन प्रेसेंस बेहद शानदार है। अलाया एफ ने भी अपने आकर्षक किरदार से स्क्रीन पर धमाल मचाया है।

निष्कर्ष

कुल मिलाकर, Srikanth एक ऐसी फिल्म है, जो अपनी प्रेरक और शानदार स्टोरी के लिए ऑडियंस और उनके ध्यान की हकदार है। अगर आप अपने जीवन में मोटिवेशन चाहते हैं और राजकुमार की मास्टरपीस एक्टिंग देखना चाहते हैं आपको यह मूवी को जरूर देखना चाहिए। Srikanth Movie 10 मई को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है।

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