ज्यादा मोबाइल चलाने से हो रहा हिअरिंग डिसऑर्डर, इनमें ज़्यादातर छोटे बच्चे, PGI चंडीगढ़ ने दी चेतावनी

Hearing Disorder In Children: PGI के ओटोलरींगोलॉजी ईएनटी (Otolaryngology ENT) विभाग द्वारा ICMR को सौंपी गयी एक रिपोर्ट में, यह देखा गया है कि मोबाइल फोन, टैब, गेमिंग डिवाइस और स्क्रीन जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के उपयोग के कारण बच्चों में देरी से बोलने के मामले बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही 15 से 30 वर्ष की आयु के बीच हिअरिंग डिसऑर्डर वाले रोगियों की संख्या भी बढ़ रही है।

फ़ोन चलाने से हो रही परेशानी

PGI के ओटोलरींगोलॉजी विभाग के प्रोफेसर संजय मुंजाल का कहना है, पिछले 3-4 सालों में, विभाग ने बच्चों के देर से बोलने के मामलों में बढ़ोत्तरी देखी है और ऑटिज्म के मामलों में भी वृद्धि देखी है, खासकर कोविड के बाद। “गेम खेलना, फोन, टैब पर स्क्रीन देखना एक-तरफ़ा कम्युनिकेशन है, जबकि भाषण यानि स्पीच दो-तरफ़ा है, और इसलिए इसे विकसित नहीं किया जा रहा है।

कम सोशल इंटरेक्शन, अपनी ही दुनिया में रहना, सिर्फ देखना और सुनना छोटे बच्चों के लिए सही नहीं है। ऐसे छोटे बच्चों द्वारा घंटों तक गैजेट्स का उपयोग करने से, इसका प्रभाव देखा जा रहा है, ऑटिज्म क्लिनिक एक महीने में कई मामलों को देख रहा है.” डॉ मुंजाल का कहना है कि बच्चों को बाल चिकित्सा और मनोचिकित्सा विभागों द्वारा प्रारंभिक निदान के बाद विभाग में भेजा जाता है।

हिअरिंग डिसऑर्डर(Hearing Disorder) और हिअरिंग लॉस के मामले

डॉ. मुंजाल कहते हैं, माता-पिता को संकेतों और लक्षणों के बारे में जागरूक रहने की जरूरत है, जिसमें एक से छह साल के बीच का आयु वर्ग सबसे महत्वपूर्ण है। “गैजेट्स, कम ह्यूमन इंटरेक्शन, जॉइंट फैमिली सिस्टम का टूटना, ये ऐसी चीज़ें हैं जो बच्चों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। हम जानते हैं कि कैसे बच्चों को एक घंटे या उससे भी कम समय तक किसी भी गैजेट के संपर्क में रहना चाहिए।

डॉ मुंजाल ने कहा, “विभाग के पास रोजाना हिअरिंग डिसऑर्डर(Hearing Disorder) और हेअरिंग लोस के दो से तीन मामले आ रहे हैं। पहले इन्हें उम्र से जोड़ा जाता था, लेकिन अब ज्यादा मरीज 15 से 30 साल के बीच के भी हैं। “मोबाइल फोन पर लंबे समय तक बात करना, हेडफ़ोन का ज्यादा उपयोग प्रमुख कारण हैं। दो घंटे से अधिक समय तक हेडफोन लगाए रखने से सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है और ज्यादा मोबाइल उपयोग के कारण टिनिटस (Tinnitus) भी बढ़ रहा है।

चूंकि कई मरीज़ हमें देर से रिपोर्ट करते हैं, इसलिए पहले ही बहुत नुकसान हो चुका होता है। हेडफ़ोन का रोज़ाना ज्यादा उपयोग हिअरिंग लॉस के प्रमुख कारणों में से एक है, क्योंकि यह एक सीधी ध्वनि है, और हमारे कान केवल 85 डेसिबल (डीबी) तक की ध्वनि सुनने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जबकि ईयरफ़ोन या हेडफ़ोन में से इससे कहीं ज्यादा ध्वनि निकलती हैं।

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