सुप्रीम कोर्ट ने कहा – चुनावों के कारण केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने पर कर सकता है विचार

Lok Sabha Election: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संकेत दिया कि वह जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal को अंतरिम जमानत देने का फैसला कर सकता है ताकि वे चुनाव में कैंपेन कर सकें।

हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसने अभी तक इस मामले पर फैसला नहीं किया है। अदालत ने ED से निर्देश लेने को कहा कि क्या अंतरिम जमानत दी जा सकती है और उस पर क्या शर्तें लगाई जा सकती हैं।

समय लगने के कारण मिल सकती है जमानत

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की बेंच ने इस सिलसिले में यह बात कही। बेंच ने कहा, “इस मामले में समय लग सकता है। लेकिन अगर मामले में समय लगता है, तो हम चुनाव के कारण अंतरिम जमानत के सवाल पर विचार कर सकते हैं।” इस पर एसवी राजू ने कहा कि वह दिल्ली के मुख्यमंत्री को अंतरिम जमानत देने का विरोध करेंगे।

Supreme Court

बेंच का कहना है कि मुख्य केस, जिसमें Arvind Kejriwal ने अपनी रिमांड और गिरफ्तारी को चुनौती दी है, इसमें समय लग सकता है। कोर्ट ने ED से कहा- अगली सुनवाई में अंतरिम जमानत को लेकर नियम और शर्तों को भी बताया जाए। उन्होंने कहा हम जमानत दे भी सकते हैं और नहीं भी। हम इस पर 7 मई को सुनवाई करेंगे।

सिंघवी ने कहा – गिरफ्तारी गैरकानूनी

ED की ओर से ASG एसवी राजू और Arvind Kejriwal की तरफ से सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में दलीलें पेश की हैं। सिंघवी ने एक बार फिर ये बात कही, कि केजरीवाल के खिलाफ कोई बुनियाद सबूत नहीं है और उनकी गिरफ्तारी गैरकानूनी है। उनका कहना है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने ED के 9 समन का जवाब दिया था। अब जांच एजेंसी के सामने पेश न होने से गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।

Arvind Kejriwal

वहीं एसवी राजू ने केजरीवाल की गिरफ्तारी का कारण बताते हुए कहा – Arvind Kejriwal को गिरफ्त में लेने का फैसला सिर्फ जांच अधिकारी का नहीं, बल्कि एक स्पेशल जज के द्वारा भी लिया गया था। केजरीवाल गिरफ्तार नहीं हों, इसलिए वे हाईकोर्ट भी गए थे, लेकिन कोर्ट ने दस्तावेजों को पढ़ने के बाद गिरफ्तारी से रोक पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

दिल्ली के मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal 21 मार्च को गिरफ्तारी के बाद से तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की याचिका पर 15 अप्रैल को ईडी को नोटिस जारी किया और उनसे जवाब मांगा। 9 अप्रैल को, उच्च न्यायालय ने जांच में शामिल होने और समन में शामिल होने से बार-बार इनकार करने का हवाला देते हुए उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखा। यह मामला 2021-22 में दिल्ली सरकार की एक्साइज पॉलिसी, कार्यान्वयन में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित है।

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