कौन थी हमीदा बानो? जिसे दे रहा गूगल श्रद्धांजलि, जानें उनके जीवन के बारे में

Hamida Banu: आज आपने गूगल के होमपेज पर एक खास तस्वीर देखी होगी. यह डूडल गूगल की तरफ से 1900 के दशक की एक अद्भुत भारतीय महिला हमीदा बानू के लिए बनाया गया है। हमीदा बानो को भारत की पहली महिला पहलवान के रूप में जाना जाता है।

कौन थी हमीदा बानो?

Hamida Banu का जन्म 1900 के दशक की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के पास पहलवानों के एक परिवार में हुआ था। वह कुश्ती सीखते हुए बड़ी हुईं और 1940 और 1950 के दशक के अपने करियर में 300 से ज्यादा प्रतियोगिताओं में जीत दर्ज की। उन दिनों कुश्ती ज़्यादातर पुरुषों के लिए होती थी, लेकिन हमीदा नियम तोड़ने से नहीं डरती थी। लोग उनकी प्रतिभा और उनकी बहादुरी से प्रभावित हुए और उन्होंने उन्हें “अमेज़ॅन ऑफ़ अलीगढ़” का नाम दिया।

Hamida Banu

उन्होंने सभी को दिखाया कि महिलाएं भी पुरुषों की तरह ही मजबूत और सख्त हो सकती हैं। आज, उन्हें एक इंस्पिरेशन के रूप में याद किया जाता है जो भारत में अन्य महिला पहलवानों के लिए प्रेरणा बनीं।

‘जो मुझे हराएगा, उससे शादी कर लुंगी’

Hamida Banu ने अपने पूरे करियर में 300 से ज्यादा कुश्ती मैच जीते। हमीदा बानो के नाम अंतरराष्ट्रीय खिताब दर्ज हैं। उन्होंने रूसी पहलवान वेरा चिस्टिलिन के खिलाफ कुश्ती मैच भी दो मिनट से भी कम समय में जीत लिया था और इसके साथ वो भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में फेमस हो गयी थी। वह अक्सर पुरुष पहलवानों से लड़ती थी। उन्होंने ये भी कहा था कि जो भी पुरुष पहलवान उन्हें हराएगा, वे उससे शादी करलेंगी, लेकिन उन्हें कोई नहीं हरा पाया। बानू ने उस समय नाम कमाया, जब कुश्ती ज्यादातर पुरुषों के लिए ही होती थी।

गूगल ने आज का दिन क्यों चुना

गूगल ने Hamida Banu को सम्मानित करने के लिए 4 मई का दिन इसलिए चुना क्योंकि इसी दिन 1954 में उन्होंने मशहूर पहलवान बाबा को हराया था। इसके बाद उन्होंने प्रोफेशनल तौर पर कुश्ती करना बंद कर दिया। गूगल का कहना है, “4 मई 1954 को यह खबर फैल गई थी कि बानू ने बाबा पहलवान को सिर्फ 1 मिनट और 34 सेकंड में हरा दिया। इससे वह दुनिया भर में मशहूर हो गईं और बाबा पहलवान रिटायर हो गए।”

किसने बनाया बानो का डूडल?

गूगल ने बताया कि यह डूडल बेंगलुरु की आर्टिस्ट दिव्या नेगी ने बनाया है। नेगी Hamida Banu बेगम के बारे में बात करना चाहती थीं, जिन्हें वह प्रेरणादायक मानती हैं, क्योंकि बानो ने वो किया जो वो चाहती थी, भले ही वो इसके लिए समाज से लड़ी। उस समय यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं थी, खासकर एक महिला के लिए, जहाँ पहलवानी सिर्फ पुरुष के लिए होती थी। नेगी ने कहा कि बानू के बारे में सीखना और उसका डूडल बनाना एक जुनूनी प्रोजेक्ट जैसा लगा और वह बानू के साहस और टैलेंट की प्रशंसा करती हैं।

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